
उत्तराखंड में रिश्वतखोरी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात ये हैं कि आम जनता का अधिकारियों और सरकारी तंत्र पर से विश्वास धीरे-धीरे उठ चुका है। जनता का कहना है कि कामकाज बिना रिश्वत के लगभग नामुमकिन हो चुका है।
सरकार ईमानदारी का ढोल तो पीट रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। विभागों में पारदर्शिता की जगह बेइमानी हावी होती जा रही है। इससे न केवल आम लोग परेशान हैं, बल्कि सरकार की छवि पर भी गहरा दाग लग रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो उत्तराखंड में शासन व्यवस्था पर से जनता का भरोसा पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
👉 सवाल उठता है कि क्या सरकार वाकई में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाएगी, या फिर ईमानदारी का नारा केवल दिखावे तक ही सीमित रहेगा?
या ये सब सरकार की सेह पर हो रहा हैं।
क्या ऑफिस मे बैठे अधिकारी अपने सरकार मे बैठे आकाओ को खुस करने मे लगे है।